नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों (दायित्वों) पर निबंध 1 (100 शब्द)
नागरिक वही व्यक्ति होते हैं, जो एक देश के किसी गाँव या शहर में एक निवासी के रुप में रहते हैं। हम सभी अपने देश के नागरिक है और अपने गाँव, शहर, समाज, राज्य और देश के लिए बहुत से उत्तरदायित्व रखते हैं। प्रत्येक नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य बहुत ही अमूल्य और एक दूसरे से जुड़े होते हैं। प्रत्येक राज्य या देश अपने देश के निवासियों के लिए कुछ मौलिक नागरिक अधिकार; जैसे – वैयक्तिक अधिकार, धार्मिक अधिकार, सामाजिक अधिकार, नैतिक अधिकार, आर्थिक अधिकार और राजनैतिक अधिकार आदि रखते हैं।
एक देश का नागरिक होने के नाते हमें अपने अधिकारों के साथ ही नैतिक और कानूनी रुप से दायित्वों को पूरा करने आवश्यक है। हमें एक दूसरे से प्यार करना चाहिए और एक दूसरे का सम्मान करने के साथ ही बिना किसी भेदभाव के एक साथ रहना चाहिए। अपने देश की रक्षा के लिए, हमें समय-समय पर प्रत्याशित बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए।
नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों (दायित्वों) पर निबंध 2 (200 शब्द)
देश में रहने वाले नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानना चाहिए। संविधान द्वारा निर्मित सभी नियमों और कानूनों को समझना, देश के नागरिकों की देश के प्रति जिम्मेदारियों को पूरा करने मदद करेगा। हमें देश में अपनी भलाई और स्वतंत्रता के साथ ही समुदाय और देश की सेवा के लिए अपने अधिकारों को अवश्य जानना चाहिए। भारत का संविधान (जिसे भारत का सबसे बड़ा कानून कहा जाता है), 26 जनवरी 1950 में प्रभाव में आया था, इसने देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक अधिकार प्रदान किए हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, भारत के लोग बहुत से अधिकार और दायित्वों को रखते हैं।
भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकार हैं, जिनके बिना कोई भी लोकतांत्रिक तरीके से रहते हैं। अर्थात्, किसी भी देश में लोकतंत्र तब काम करता है, जबकि उस देश के नागरिकों को अधिकार प्राप्त हों। इस तरह के अधिकार सरकार के तानाशाह और क्रूर होने से बचाते हैं। मौलिक अधिकार लोगों की नैतिक, भौतिक और व्यक्तित्व के विकास में लोगों की मदद करते हैं। अधिकारों के हनन होने की स्थिति में कोई भी व्यक्ति रक्षा के लिए न्यायालय की शरण ले सकता है। देश की समृद्धि और शान्ति के लिए मौलिक कर्तव्य भी है।
नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध 3 (250 शब्द)
भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकार अच्छे जीवन की आवश्यक और आधारभूत परिस्थितियों के लिए दिए गए हैं। इस तरह के अधिकारों के बिना कोई भी भारतीय नागरिक अपने व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को विकसित नहीं कर सकता है। ये मौलिक अधिकार भारतीय संविधान में निहित हैं। नागरिकों के मौलिक अधिकारों का रक्षा सर्वोच्च कानून के द्वारा की जाती है, जबकि सामान्य अधिकारों की रक्षा सामान्य कानून के द्वारा की जाती है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों को हनन नहीं किया जा सकता हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में इन्हें कुछ समय के लिए, अस्थाई रुप से निलंबित किया जा सकता है।
भारतीय संविधान के अनुसार 6 मौलिक अधिकार; समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 व 24), संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29 और 30), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22), संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)। नागरिक देश के किसी भी भाग में रहते हुए, अपने अधिकारों का लाभ ले सकते हैं। यदि किसी के अधिकारों को व्यक्ति को मजबूर करके छिना जाता है, तो वह व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय की शरण ले सकता है। अपने आस-पास के वातावरण को सुधारने और आत्मिक शान्ति प्राप्त करने के लिए अच्छे नागरिकों की बहुत से कर्तव्य भी होते हैं, जिनका सभी के द्वारा पालन किया जाना चाहिए। देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करना देश के स्वामित्व की भावना प्रदान करता है। देश का अच्छा नागरिक होने के नाते, हमें बिजली, पानी, प्राकृतिक संसाधनों, सार्वजनिक सम्पत्ति को बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमें सभी नियमों और कानूनों का पालन करने के साथ ही समय पर कर (टैक्स) का भुगातन करना चाहिए।
नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों (दायित्वों) पर निबंध 4 (300 शब्द)
नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकार संविधान का अनिवार्य भाग है। इस तरह के मौलिक अधिकारों को संसद की विशेष प्रक्रिया का उपयोग करने के द्वारा बदला जा सकता है। स्वतंत्रता, जीवन, और निजी संपत्ति के अधिकार को छोड़कर, भारतीय नागरिकों से अलग किसी भी अन्य व्यक्ति को इन अधिकारों की अनुमति नहीं है। जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकारों को आपातकाल के दौरान स्थगित कर दिया जाता है। यदि किसी नागरिक को ऐसा लगता है कि, उसके अधिकारों का हनन हो रहा है, तो वह व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय) में जा सकता है। कुछ मौलिक अधिकारों सकारात्मक प्रकृति के और कुछ नकारात्मक प्रकृति के है और हमेशा सामान्य कानून में सर्वोच्च होते हैं। कुछ मौलिक अधिकार; जैसे- विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समारोह का आयोजन, सांस्कृतिक और शिक्षा का अधिकार केवल नागरिकों तक सीमित है।
1950 में जब संविधान प्रभाव में आया था, इस समय भारत के संविधान में कोई भी मौलिक कर्तव्य नहीं था। इसके बाद 1976 में 42वें संवैधानिक संशोधन के दौरान भारतीय संविधान में दस मौलिक कर्तव्यों को (अनुच्छेद 51अ के अन्तर्गत) जोड़ा गया था। भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य निम्नलिखित है:
- भारतीय नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करना चाहिए।
- हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पालन किए गए विचारों के मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।
- हमें देश की शक्ति, एकता और अखंडता की रक्षा करनी चाहिए।
- हमें देश की रक्षा करने के साथ ही भाईचारे को बनाए रखना चाहिए।
- हमें अपने सांस्कृतिक विरासत स्थलों का संरक्षण और रक्षा करनी चाहिए।
- हमें प्राकृतिक वातावरण की रक्षा, संरक्षण और सुधार करना चाहिए।
- हमें सार्वजनिक सम्पत्ति का रक्षा करनी चाहिए।
- हमें वैज्ञानिक खोजों और जांच की भावना विकसित करनी चाहिए।
- हमें व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के हर प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करनी चाहिए।
नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध 5 (350 शब्द)
भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य, 1976 में, 42वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में जोड़े गए। देश के हित के लिए सभी जिम्मेदारियाँ बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं। नागरिक कर्तव्यों या नैतिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए देश के नागरिकों को कानूनी रुप से, यहाँ तक कि न्यायालय के द्वारा भी बाध्य नहीं किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति मौलिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा/रही है, तो दंड़ित नहीं किया जा सकता क्योंकि, इन कर्तव्यों का पालन कराने के लिए कोई भी विधान नहीं है। मौलिक अधिकार (समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा का अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार) भारतीय संविधान के अभिन्न अंग है। संविधान में इस तरह के कुछ कर्तव्यों का समावेश करना देश की प्रगित, शान्ति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
भारतीय संविधान में शामिल किए गए कुछ मौलिक कर्तव्य; राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान का सम्मान करना, नागरिकों को अपने देश की रक्षा करनी चाहिए, जबकभी भी आवश्यकता हो तो राष्ट्रीय सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए, सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करनी चाहिए आदि हैं। इस तरह के मौलिक कर्तव्य देश के राष्ट्रीय हित के लिए बहुत महत्वपूर्ण है हालांकि, इन्हें मानने के लिए लोगों को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अधिकारों का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए, लोगों को अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन सही ढंग से करना चाहिए, क्योंकि अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे ही हमें अधिकार मिलते हैं तो वैयक्तिक और सामाजिक कल्याण की ओर हमारी जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती है। दोनों ही एक दूसरे से पृथक नहीं है और देश की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
देश का अच्छा नागरिक होने के रुप में, हमें समाज और देश के कल्याण के लिए अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानने व सीखने की आवश्यकता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि, हम में से सभी समाज की अच्छी और बुरी स्थिति के जिम्मेदार है। समाज और देश में कुछ सकारात्मक प्रभावों लाने के लिए हमें अपनी सोच को कार्य रुप में बदलने की आवश्यकता है। यदि वैयक्तिक कार्यों के द्वारा जीवन को बदला जा सकता है, तो फिर समाज में किए गए सामूहिक प्रयास देश व पूरे समाज में सकारात्मक प्रभाव क्यों नहीं ला सकते हैं। इसलिए, समाज और पूरे देश की समृद्धि और शान्ति के लिए नागरिकों के कर्तव्य बहुत अधिक मायने रखते हैं।
नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों (दायित्वों) पर निबंध 6 (550 शब्द)
हम एक सामाजिक प्राणी है, समाज और देश में विकास, समृद्धि और शान्ति लाने के लिए हमारी बहुत सी जिम्मेदारियाँ है। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए, भारत के संविधान के द्वारा हमें कुछ अधिकार दिए गए हैं। वैयक्तिक विकास और सामाजिक जीवन में सुधार के लिए नागरिकों को अधिकार देना बहुत ही आवश्यक है। देश की लोकतंत्र प्रणाली पूरी तरह से देश के नागरिकों की स्वतंत्रता पर आधारित होती है। संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को मौलिक अधिकार कहा जाता है, जिन्हें हम से सामान्य समय में वापस नहीं लिया जा सकता है। हमारा संविधान हमें 6 मौलिक अधिकार प्रदान करता है:
- स्वतंत्रता का अधिकार; यह बहुत ही महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, जो लोगों को अपने विचारों को भाषणों के द्वारा , लिखने के द्वारा या अन्य साधनों के द्वारा प्रकट करने में सक्षम बनाता है। इस अधिकार के अनुसार, व्यक्ति समालोचना, आलोचना या सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने के लिए स्वतंत्र है। वह देश के किसी भी कोने में कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र है।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार; देश में ऐसे कई राज्य हैं, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। हम में से सभी अपनी पसंद के किसी भी धर्म को मानने, अभ्यास करने, प्रचार करने और अनुकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोई भी किसी के धार्मिक विश्वास में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखता है।
- समानता का अधिकार; भारत में रहने वाले नागरिक समान है और अमीर व गरीब, उच्च-नीच में कोई भेदभाव और अन्तर नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, जनजाति, स्थान का व्यक्ति किसी भी कार्यालय में उच्च पद को प्राप्त कर सकता है, वह केवल आवश्यक अहर्ताओं और योग्यताओं को रखता हो।
- शिक्षा और संस्कृति का अधिकार; प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और वह बच्चा किसी भी संस्था में किसी भी स्तर तक शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
- शोषण के विरुद्ध अधिकार; कोई भी किसी को उसका/उसकी इच्छा के विरुद्ध या 14 साल से कम उम्र के बच्चे से, बिना किसी मजदूरी या वेतन के कार्य करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार; यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। इस अधिकार को संविधान की आत्मा कहा जाता है, क्योंकि यह संविधान के सभी अधिकारों की रक्षा करता है। यदि किसी को किसी भी स्थिति में ऐसा महसूस होता है, कि उसके अधिकारों को हानि पँहुची है तो वह न्याय के लिए न्यायालय में जा सकता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, अधिकार और कर्तव्य साथ-साथ चलते हैं। हमारे अधिकार बिना कर्तव्यों के अर्थहीन है, इस प्रकार दोनों ही प्रेरणादायक है। यदि हम देश को प्रगति के रास्ते पर आसानी से चलाने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं, तो हमें अपने मौलिक अधिकारों के लाभ को प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। देश का नागरिक होने के नाते हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित है:
- हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए।
- हमें देश के कानून का पालन और सम्मान करना चाहिए।
- हमें अपने अधिकारों का आनंद दूसरों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना लेना चाहिए।
- हमें हमेशा आवश्यकता पड़ने पर अपने देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
- हमें राष्ट्रीय धरोहर और सार्वजनिक सम्पत्ति (रेलवे, डाकघर, पुल, रास्ते, स्कूलों, विश्व विद्यालयों, ऐतिहासिक इमारतों, स्थलों, वनों, जंगलों आदि) का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए।
- हमें अपने करों (टैक्स) का भुगतान समय पर सही तरीके से करना चाहिए।