दादा-दादी पर निबंध – Essay on Grandparents in Hindi

दादा-दादी पर निबंध 1 (200 शब्द)

दादा-दादी और पोता-पोती के बीच के संबंध शब्दों में वर्णित नहीं किए जा सकते हैं। दादा-दादी न केवल बच्चों में अच्छी आदतें और नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं बल्कि असीमित आनंद उठाने के लिए उनके सबसे अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं। जहाँ तक माता-पिता की बात है तो वे अपने बच्चों के लिए सभी प्रकार की सहूलियतें उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके दादा-दादी के बिना यह सारी कोशिशें अधूरी हैं।

ऐसा अक्सर देखा जाता है कि पोता-पोती के अन्दर अपने दादा-दादी से मिलते जुलते कई गुण पाए जाते हैं। आपने कई बार उन्हें उसी तरीके से बर्ताव करते हुए देखा भी होगा। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा सिर्फ उन लोगों के साथ ही नहीं है जो हमेशा एक साथ रहें हो बल्कि उन लोगों के साथ भी है जिन्हें शायद ही एक-दूसरे से मिलने का मौका मिल पाता हो। इसका कारण यह है कि बच्चे अपने दादा-दादी के कुछ गुणों को जन्म से अपनी पैतृक सम्पत्ति के रूप में प्राप्त करते हैं।

दुर्भाग्य से अलग-अलग परिवारों को बसाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने पोता-पोती और दादा-दादी के बीच संपर्क को सीमित कर दिया है इस वजह से दोनों ही इस रिश्ते का भरपूर लुत्फ़ नहीं उठा पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए माता-पिता को ही समय निकालकर अपने बच्चों को अपने दादा-दादी के स्थान पर ले जाना होगा या अपने पास रहने के लिए उन्हें बुलाना होगा ताकि इस बंधन की खूबसूरती को बचाया जा सके। अगर किसी कारणवश मिलना संभव नहीं हो पाता है तो फोन या अन्य तरीकों से एक-दूसरे के संपर्क में रहने की कोशिश की जा सकती है।

दादा-दादी पर निबंध 2 (300 शब्द)

दादा-दादी अपने पोता-पोती के साथ बहुत ही विशेष बंधन को साझा करते हैं। वे एक-दूसरे से मिलकर और एक दूसरे का साथ पाकर बहुत आनंदित महसूस करते हैं। कुछ परिवारों में यह बंधन माता-पिता और बच्चे के संबंध से भी काफी मजबूत होता है। अपने बच्चों के प्रति दादा-दादी का प्यार और स्नेह वाकई बेहद बेमिसाल होता है।

दादा-दादी और पोता-पोती के बीच संबंध

पहले के समय में बच्चों को उनके दादा-दादी के साथ समय व्यतीत करने का काफी मौका मिलता था पर अब वे अलग परिवार बसाने की बढ़ती प्रणाली की प्रवृत्ति के कारण एक-दूसरे से कम ही मिल पाते हैं। जहाँ तक माता-पिता की बात है तो वे कई निजी और व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के कारण अपने बच्चों को दादा-दादी के पास ले जाने का पर्याप्त समय नहीं बचा पाते पर उन्हें किसी भी हाल में एक दूसरे के साथ समय व्यतीत करने के लिए कोशिश करनी होगी। यहां कुछ ऐसे सुझाव दिए गए हैं जो इस दिशा में काम में लिए जा सकते हैं:

  • अगर आप अपनी पेशेवर प्रतिबद्धताओं के कारण माता-पिता से नहीं मिल पाते हैं या उनके साथ लम्बा समय व्यतीत नहीं कर पाते हैं तो आप अपने बच्चों को कुछ दिनों के लिए अपने माता-पिता के घर छोड़ सकते हैं या अपने माता-पिता को अपने निवास स्थान पर रहने के लिए बुला सकते हैं।
  • यात्रा करना अक्सर एक परेशानी का सबब बन सकती है हालांकि यह आपको किसी के संपर्क में रहने से रोक नहीं सकती। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके बच्चे फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से नियमित रूप से आपके माता-पिता से बात करते रहें।
  • आप अपने बच्चों द्वारा लिखे गए पत्र और कार्ड पोस्ट उन्हें अपने दादा-दादी को भेजने के लिए कह सकते हैं। यह थोड़ा पुराने जमाने का एहसास दिला सकता है लेकिन यह निश्चित रूप से स्थायी प्रभाव डाल कर बंधनों के बीच की दूरी ख़त्म कर सकता है।
  • ई-कॉमर्स पोर्टल्स के आगमन के साथ उपहार भेजना आसान हो गया है। अपने बच्चों को अपने दादा-दादी के लिए उपहारों का चयन करने में मदद करें और उन्हें विशेष अवसरों पर भेजने में सहायता करें।
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निष्कर्ष

दादा-दादी द्वारा सिखाए गये जीवन के सबक किसी भी पुस्तकों को पढ़ कर या किसी भी कक्षा में पढ़ कर नहीं सीखे जा सकते। माता-पिता पोता-पोती और दादा-दादी के बीच जुड़ने के बिंदु हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि वे इस संबंध को जीवित बनाए रखें।

दादा-दादी पर निबंध 3 (400 शब्द)

दादा-दादी परिवार की जड़ के रूप में जाने जाते हैं। अपने अनुभव और समझ की वजह से वह नई पीढ़ियों को आगे बढ़ने में उनकी मदद करने के लिए अपने जीवन के मूल्यवान सबकों को साझा करते हैं। वे निस्वार्थ अपने बच्चों और पोता-पोती की सेवा करते हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनने में उनकी मदद करते हैं।

संयुक्त परिवार प्रणाली: बच्चों के लिए एक वरदान

यहां कुछ कारक हैं जो इस विचारधारा का समर्थन करते हैं:

संबंध

संयुक्त परिवार प्रणाली में जब कोई बच्चा दादा-दादी, चाचा-चाची, मामा-मामी और चचेरे, ममेरे भाई-बहनों के साथ रहता है तो वह विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ किस प्रकार व्यवहार करें, कैसे रिश्तों का सामंजस्य स्थापित करें यह सीखता है। ऐसे बच्चों को शायद ही कभी लोगों के साथ रहने, बातचीत में कठिनाई का सामना करना पड़े बजाए उनके जो अपने माता-पिता या दिन के अधिकांश समय घरेलू सहायता की आस लगाए रखते हैं।

जीवन के लिए मूल्यवान पाठ

जब बच्चे अपनी उम्र के बढ़ते चरण में होते हैं और उन्हें जीवन को बेहतर तरीके से समझने, मूल्यवान सबक सिखने की जरूरत होती है तो माता-पिता अक्सर अपने करियर में व्यस्त रहते हैं और मुश्किल से उनके साथ गुणवत्ता का समय बिता पाते है ताकि उन्हें जीवन की अच्छाई और बुराई से अवगत करा सकें। दादा-दादी इस मामले में बहुत अधिक अनुभवी होते हैं और अक्सर एक संयुक्त परिवार में रहकर बच्चों के साथ अधिक समय बिता पाते हैं। संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे इस प्रकार जीवन के लिए ज़रूरी अच्छे नैतिक मूल्यों और अन्य मूल्यवान सबक सीख सकते हैं।

क्षितिज का बढ़ना

बच्चे अक्सर हमारी नकल करते हैं। जब वे एक अलग बसाए परिवार में रहते हैं तो वे अक्सर माता या पिता की आदतों को ग्रहण कर अलग तरीके से बर्ताव करना शुरू करते हैं। हालांकि एक संयुक्त परिवार में रहना उनके परिप्रेक्ष्य को व्यापक करता है। वे अलग-अलग लोगों के संपर्क में आकर सीखते हैं कि कैसे एक कार्य को अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है और कैसे आँख बंद करके एक रास्ते पर चलने की बजाए अपनी मनपसंद राह चुने?

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साझा करना और देखभाल करना

यद्यपि बच्चे संयुक्त परिवार में रहकर परिवार के विभिन्न सदस्यों के साथ का आनंद उठाते है पर इस कारण वह सभी का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींच पाते है। संयुक्त परिवार में रहकर वे समझ जाते है कि जो भी बड़ी और छोटी चीज लाई गई वह केवल उनके लिए नहीं बल्कि उनको इसे और सदस्यों के साथ साझा करना पड़ेगा। इस प्रकार इससे साझा करने की आदत विकसित होती है और दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति वे अधिक संवेदनशील बनते हैं।

ज्यादा आनंद

जन्मदिन और त्यौहार जैसे सभी विशेष अवसरों पर जब आप एकसाथ जश्न मनाते हैं तो वे आपके लिए और भी अधिक विशेष हो जाते हैं।

समर्थन प्रणाली

दादा-दादी परिवार के लिए समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं। आप उन पर कभी भी भरोसा कर सकते हैं। जैसे-जैसे वे बूढ़े होते जाते हैं उन्हें भी ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है जिसे केवल संयुक्त परिवार में रहकर ही पूरा किया जा सकता है।

निष्कर्ष

बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए संयुक्त परिवार व्यवस्था सबसे अच्छी है। यद्यपि यह व्यवस्था धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है पर कुछ लोग अभी भी अकेले परिवार बसाने के चलन की बजाए इसे पसंद करते हैं।

दादा-दादी पर निबंध 4 (600 शब्द)

दादा-दादी बनना दुनिया में सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है। यह एक विशेष बंधन है जो दादा-दादी अपने पोता-पोती के साथ साझा करते हैं और यह सावधानी बरतने से समय के साथ और मजबूत हो जाता है।

जो दादा-दादी बनने वाले हैं उनके लिए सुझाव

माता-पिता की तुलना में अक्सर दादा-दादी परिवार में नए जन्म के आगमन को लेकर अधिक उत्साहित होते हैं। यदि आपको ऐसा लगता है कि दादा-दादी बनने वाले हैं और इस नई जिम्मेदारी को लेने के बारे में परेशानी महसूस कर रहे हैं तो निम्न जानकारी आपकी मदद कर सकती है:

सहायता करें

दादा-दादी के रूप में आपकी ज़िम्मेदारी घर में नन्हें मेहमान के आने की खुशी के साथ शुरू होती है। जैसे ही आपको अच्छी खबर मिलती है आपको तुरंत अपने बच्चों की सहायता के लिए हाथ बढ़ाने होंगे। आपको इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान बच्चे की देखभाल करने के बारे में सुझाव प्रदान करने होंगे और उन्हें यह आश्वासन देना होगा कि आप हर समय उनके मार्गदर्शन और समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप अपना वादा रखेंगे और आवश्यकतानुसार अपना समर्थन देंगे।

वास्तविक बनिए

हालाँकि आपको इस चरण के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद अपने बच्चों का समर्थन करने के लिए उनके साथ ज्यादातर समय मौजूद होना चाहिए लेकिन इसके यह जरुरी नहीं की आपको अपनी नौकरी छोड़नी पड़े या काम करने के लिए स्थानांतरित करने जैसे प्रमुख जीवन-परिवर्तनकारी निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़े। आपको हमेशा याद रखना होगा कि आप दूसरे व्यक्ति का समर्थन, प्यार और देखभाल प्रदान तभी कर सकते हैं जब आप अपने जीवन में शांत और संतुष्ट रहें। आप कौन हैं इसे पहचानिए और वास्तविक बनिए।

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ज्यादा खरीदारी न करें

कई दादा-दादी अपने नाती-पोतों के जन्म की खबर सुनकर उत्साहित हो जाते हैं और उनके लिए बाज़ार से सब कुछ खरीद लेते हैं। आपकी भावनाओं को पूरी तरह समझा जा सकता है लेकिन जहाँ तक पैसे के मामलों की बात हैं तो आपको हमेशा बुद्धिमानी से व्यवहार करना चाहिए। खरीदारी के लिए जरुरी नहीं कि सारा ही सामान ख़रीदा जाए।

स्वस्थ संबंध स्थापित करें

यद्यपि आप नए जन्म के आगमन को लेकर बहुत उत्साहित हैं लेकिन यह मत भूलिए कि उनके नाना-नानी भी है और वे भी इस खबर पर उतने ही खुश है जितने आप है। सभी काम अकेले खुद करने की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को उनके साथ साझा करें, एक-दूसरे के साथ संचार करें, सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखें और बच्चे की शिक्षा-दीक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना प्रयत्न करें।

बंधन मजबूत करें

दादा-दादी अपने पोते-पोती के साथ एक विशेष बंधन स्थापित करना चाहते हैं लेकिन कई लोग इस रिश्ते पर हावी हो जाते हैं। वे दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू करते हैं या बच्चों को मजबूर करते हैं की उन्हें पसंद करे। इस तरह आप बच्चों के सामने अपनी नकारात्मक छवि पेश करते हैं। बस अपने पोता-पोती के साथ समय बिताए, उनका अच्छा ख्याल रखें और समय दें स्वाभाविक रूप से संबंधो को मजबूत होने के लिए।

संपर्क बनाए रखें

यदि आप अपने बच्चों से दूर रह रहे हैं तो अपने बच्चों और पोते-पोती के साथ संपर्क बनाए रखें और उन्हें घर बुलाएं, उनसे मुलाकात करें तथा उन्हें अपने स्थान पर आमंत्रित करें ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आप अपने पोते-पोती से नियमित रूप से मिल पाएंगे और उनके साथ गुणवत्ता का समय बिताएंगे।

अच्छी सीख दें

जैसे जैसे आपके पोता-पोती की उम्र बढ़नी शुरू होती हैं आपको उनमें अच्छे नैतिक मूल्यों को विकसित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। अलग-अलग परिस्थितियों को कैसे संभालना है यह जानने में उनकी मदद के लिए आपको अपने अनुभवों और कहानियों को उनके साथ साझा करना होगा।

कठोर मत बने

अगर आप अपनी विचारधारा के है और आप अच्छी तरह से समझते हैं कि सही और गलत में अंतर क्या है तो इसका यह मतलब नहीं है कि अपने पोता-पोती के लिए जिंदगी के नियम कड़े कर देंगे। उन्हें मार्गदर्शन करने आपका कर्तव्य है पर ध्यान रखें उनके साथ बातचीत करते समय ज्यादा कठोर नहीं हो। अपने स्वभाव में नरमाहट लाए जब भी आवश्यक हो उनके विचारों और नियमों को सुनें।

निष्कर्ष

दादा-दादी बनना, विशेष रूप से पहली बार, जिंदगी भर न भूलने वाला अनुभव हो सकता है। शांत रहें और ज्यादा उतावले न हो तथा जैसे ही आप जीवन के इस नए चरण में प्रवेश करते हैं तो एक सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाए।

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